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कविता

स्त्रीलिंग-पुल्लिंग

स्कंद शुक्ल


संस्कृत में देवता स्त्रीलिंग रहा
तुमने उसे पुल्लिंग कर लिया,
संस्कृत में अग्नि पुल्लिंग रहा
तुमने उसे आग कर स्त्रीलिंग बना लिया,
इस तरह औरत के सामने आदमी के अर्पित
होने के क्रम का विपर्यय हुआ
और औरतें आदमियों के सामने अर्पित स्वधा-स्वाहा होने लगीं।


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